दिल्ली में होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों का प्रसारण, प्रसार भारती द्वारा एचडीटीवी (HDTV) याने कि हाई डेफिनिशन टेलीविजन के फार्मेट में भी होगा।
ऐसा नहीं है कि प्रसार भारती अब हाई टेक हो गयी है या होने जा रही है, यह सब मज़बूरी कि देन है, मज़बूरी इसलिए क्योंकि CWG के नियमानुसार मूल प्रसारण कर्त्ता को खेलों का इसी फॉर्मेट में प्रसारण करना जरूरी है। खैर, जो भी हो, कम से कम इसी बहाने हमारे नीतिनियंताओं को कुछ अच्छा करने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियां पैदा तो हुई। ऐसा ज्ञात हुआ है कि हमारे इंजीनियरों ने इसकी तैयारी भी कर ली है।
फिलहाल इन प्रसारणों के लिए देश के चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को ही चुना गया है, याने दिल्ली अभी दूर है और आपको अभी अपने टेलीविजन सेट्स बदलने की ज़रूरत नहीं होगी। वैसे भी बहु संख्यक आबादी को ध्यान में रखते हुए, शायद, अनालोग प्रसारण तो जारी रखे ही जायेंगे।
परन्तु, यहाँ पर हम इतना जरूर बताएँगे कि सामान्य टेलिविज़न (SDTV - Standard Definition TeleVision - 640 x 480) के मुकाबले HDTV की दृश्य गुणवत्ता या रिसोल्यूशन 3 गुना (1920 x 1080 pixels) तक होता है और इसके चित्रों का दृश्यानुपात 16:9 होता है जो सामान्य के 4:3 से बहुत अच्छा होता है और फिल्मों के दृश्यानुपात के समान होता है। यहाँ यह भी जानना ज़रूरी है की डिज़िटल टीवी और एचडीटीवी दोनों ही अलग-अलग विषयवस्तु हैं और इनसे भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।
प्रसारण कर्त्ता के तौर पर यह जानना भी ज़रूरी है की इनके प्रसारण हेतु लगभग तीन गुना ज्यादा bandwidth की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए नये संसाधन भी जुटाने की आवश्यकता पड़ेगी और इस प्रसारण को देखने के लिए उपभोक्ताओं को भी नए HDTV टेलीविजन खरीदने की ज़रूरत पड़ेगी।
यदि आप एचडीटीवी या डीटीवी के बारे के लिए ज्यादा जानना चाहते हैं तो आप हाउ-स्टफ-वर्क्स की वेब साईट http://www.howstuffworks.com/hdtv.htm पर जा सकते हैं। यहाँ आप और भी कई उपयोगी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं, यह वेब साईट सभी के लिए बहुत ही उपयोगी है और विभिन्न उपकरणों के बारे में यहाँ जानकारी उपलब्ध है।
अश्विनी कुमार, ई मेल - akvkota@gmail.com
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रविवार, 21 फ़रवरी 2010
शनिवार, 4 अक्टूबर 2008
वोइस ऑफ अमेरिका का हिन्दी प्रसारण बंद
वोइस ऑफ अमेरिका ने ३० सितम्बर से हिन्दी में प्रसारण करना बन्द कर दिया, पर हिन्दी जगत में यह कोई महत्त्वपूर्ण खबर नहीं बन सकी है। आज जबकि भारत और अमेरिका के रिश्ते प्रगाड होते जान पड रहे हैं और अमेरिका अपनी दुनिया के दरवाजे भारत के लिए खोलने के लिए बेताब दिखाई दे रहा है, अमेरिका का यह कदम दिमाग में संशय तो पैदा करता ही है।
आखिर ऐसे कौनसे कारण हो सकते हैं जिनके चलते अमेरिका ने यह कदम उठाया है?
कहा जा रहा है कि इस ग्लोबल युग में जबकि दुनिया में संपर्क एवं सूचना प्राप्ति के साधनों की बहुतायत हो गयी है, इस तरह के रेडियो प्रसारणो की जरूरत खत्म हो गयी है, जो कि इतना उचित कारण नज़र नहीं आता है। मेरी नजर में यह अमेरिकी बाजारवाद की प्रवृत्ति को ही दर्शाता है क्योकि अब अमेरिका से भारत के बाजारू रिश्ते काफी ठीक हो चुके हैं और अमेरिका को अब इसकी और जरूरत नहीं रह गयी है।
बन्द करने के पीछे धन भी कारण नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसे प्रसारणों के लिए अमेरिका को कुछ विशेष खर्च नहीं करना पड्ता.
आप भी अपने विचार यहाँ लिखें .
आखिर ऐसे कौनसे कारण हो सकते हैं जिनके चलते अमेरिका ने यह कदम उठाया है?
कहा जा रहा है कि इस ग्लोबल युग में जबकि दुनिया में संपर्क एवं सूचना प्राप्ति के साधनों की बहुतायत हो गयी है, इस तरह के रेडियो प्रसारणो की जरूरत खत्म हो गयी है, जो कि इतना उचित कारण नज़र नहीं आता है। मेरी नजर में यह अमेरिकी बाजारवाद की प्रवृत्ति को ही दर्शाता है क्योकि अब अमेरिका से भारत के बाजारू रिश्ते काफी ठीक हो चुके हैं और अमेरिका को अब इसकी और जरूरत नहीं रह गयी है।
बन्द करने के पीछे धन भी कारण नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसे प्रसारणों के लिए अमेरिका को कुछ विशेष खर्च नहीं करना पड्ता.
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