वोइस ऑफ अमेरिका ने ३० सितम्बर से हिन्दी में प्रसारण करना बन्द कर दिया, पर हिन्दी जगत में यह कोई महत्त्वपूर्ण खबर नहीं बन सकी है। आज जबकि भारत और अमेरिका के रिश्ते प्रगाड होते जान पड रहे हैं और अमेरिका अपनी दुनिया के दरवाजे भारत के लिए खोलने के लिए बेताब दिखाई दे रहा है, अमेरिका का यह कदम दिमाग में संशय तो पैदा करता ही है।
आखिर ऐसे कौनसे कारण हो सकते हैं जिनके चलते अमेरिका ने यह कदम उठाया है?
कहा जा रहा है कि इस ग्लोबल युग में जबकि दुनिया में संपर्क एवं सूचना प्राप्ति के साधनों की बहुतायत हो गयी है, इस तरह के रेडियो प्रसारणो की जरूरत खत्म हो गयी है, जो कि इतना उचित कारण नज़र नहीं आता है। मेरी नजर में यह अमेरिकी बाजारवाद की प्रवृत्ति को ही दर्शाता है क्योकि अब अमेरिका से भारत के बाजारू रिश्ते काफी ठीक हो चुके हैं और अमेरिका को अब इसकी और जरूरत नहीं रह गयी है।
बन्द करने के पीछे धन भी कारण नहीं हो सकता है क्योंकि ऐसे प्रसारणों के लिए अमेरिका को कुछ विशेष खर्च नहीं करना पड्ता.
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शनिवार, 4 अक्टूबर 2008
वोइस ऑफ अमेरिका का हिन्दी प्रसारण बंद
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