सोमवार, 30 मई 2011

Learn to Create Websites

With increased uses and popularity of the internet we can't stay backyard, Time has come when we need to update ourself. Being technocrats we must be familiar with a webpage and how it can be created, what technologies are used to create the webpages and the stunning websites. Here I'm going to tell you about some free resources to learn some thing about the web page designing & simple programming.

For simple webpage you can start from various blog sites like www.blogger.com or www.wordpress.com.

At Blogger or Wordpress, you can write your views simply like you type in MS Wordpad or MS Word document. Such free blog sites provide you facility to write you in various languages including hindi.

If you want to go further, You can start designing your own good looking website without learning the technologies, www.weebly.com is a good place to start with. here you can select a theme and even modify it, various tools have been designed for the ease of the users. You can create a simple but attractive web sites from here and host freely on their servers freely, they provide a free sub-domain and web space for this purpose.

If you want to learn the web technologies e.g. HTML, CSS, XML, JavaScript, one of the best free on-line resource, I found on the net is w3schools.

At w3schools you can learn how to make a website. Free detailed tutorials in all web development technologies are available with a "Try it Yourself" editor. With w3schools' "Try it Yourself" editor you can experiment with HTML, CSS, XML, JavaScript and see the result in your browser window.

These resources are absolutely free and you are free to use them.

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शनिवार, 6 मार्च 2010

आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कर्मचारी नेताओं कि अदूरदर्शिता पूर्ण नीतियां - 2

आखिर वही हुआ जिसका डर था .... मैंने अपने २० सितम्बर २००९ के आलेख
(यहाँ पढें) में जो लिखा था आखिरकार वो सच हो ही गया, न आपने और न ही उन तथाकथित नेताओं ने मेरी बात पर ध्यान दिया और वो सब हुआ जो नहीं होना चाहिए था। MACP लागू हो गयी और जैसा कि मैंने बताया था, किसी को भी विशेष फायदा नहीं हुआ बल्कि और कई नए कोम्प्लिकेशंस भी पैदा हो गए हैं।

अब नेता लोग उस चीज के लिए तैयार हो रहे हैं जिसके लिए पहले कभी नहीं थे। EA और SEA का मर्जर!


वर्षों से हम सब यह मांग करते आये हैं कि SEA और AE तथा EA (नए और पुराने दोनों ही) और SrTech का मर्जर होना चहिये, AE और आगे के प्रमोशन से किसी भी तरह की रोक (Qualification Bar or Any Other Bar) या बाध्यता हटनी चाहिए।

पर आज हम उस सब(EA और SEA का मर्जर) के लिए तैयार होने कि दिशा में कदम बढाने को तैयार हैं, जिसके लिए पहले कभी तैयार नहीं थे।

आप या मैं शायद तैयार न हों पर हमारे तथाकथित कर्णधार तो तैयार हैं।
इस सब का इफेक्ट हमारी उन पुरानी मांगों पर पड़ेगा जिनकी मांग हम वर्षों से करते आये हैं और संभावना तो यह है कि ये मांगें पूरी होना तो दूर की बात, उनकी मांग करना भी दूर की कौड़ी हो जायेगा ।

एक बार किसी भी प्रकार का लाभ जैसे (EA और SEA का मर्जर) लेने के बाद प्रशासन से उसे बदलवाना कोई बहुत आसान काम नहीं होता है।
यह बात इन नेताओं को अच्छी तरह पता है, पर शायद चुनाव नज़दीक होने के कारण ये इन सभी मूल बातों को नज़रंदाज़ कर रहे हैं।


वास्तविक फायदा केडर रिस्ट्रक्चर से ही हो सकता है, जरुरत इस बात कि है कि उसकी (केडर रिस्ट्रक्चर) कमियों को दूर करके उसे तुरंत ही पिछली तारीख से (जो V - पे कमीशन से पहले की होनी चाहिए) लागू करवाने की सम्पूर्ण शक्ति से, पूरे मनोयोग से कोशिश की जाये, तभी MACP का और प्रमोशन का फायदा हम सभी को मिल सकेगा।

अभी भी समय है यदि वक़्त रहते नहीं चेते तो जो हाथ में है उससे भी जायेंगे। अब वक़्त आ गया है कि हम तात्कालिक लाभ के बजाय समझदारी से काम लें और दूर की सोचें और ऐसे निर्णयों को समर्थन न दें।

तो आओ हम सभी मिलकर नेताओं के लिए एक सदबुद्धि यज्ञ का प्रारम्भ करें।

मैं एक बार फिर कहता हूँ, जागो साथियों जागो... भविष्य की सोचो... आने वाले कल की सोचो... जागो दोस्तों जागो।

( आप भी अपने विचार यहाँ लिख सकते हैं। या ईमेल द्वारा भी मुझे अपने विचारों से अवगत करवा सकते हैं, परन्तु यहाँ लिखे आपके विचारों को और दूसरे लोगों को भी पड़ने का मौका मिलेगा।)

आपका अपना,
अश्विनी कुमार,
ई मेल - akvkota@gmail.com

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

राष्ट्र मंडल खेलों का प्रसारण और एच डी टी वी

दिल्ली में होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों का प्रसारण, प्रसार भारती द्वारा एचडीटीवी (HDTV) याने कि हाई डेफिनिशन टेलीविजन के फार्मेट में भी होगा।

ऐसा नहीं है कि प्रसार भारती अब हाई टेक हो गयी है या होने जा रही है, यह सब मज़बूरी कि देन है, मज़बूरी इसलिए क्योंकि CWG के नियमानुसार मूल प्रसारण कर्त्ता को खेलों का इसी फॉर्मेट में प्रसारण करना जरूरी है। खैर, जो भी हो, कम से कम इसी बहाने हमारे नीतिनियंताओं को कुछ अच्छा करने के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियां पैदा तो हुई। ऐसा ज्ञात हुआ है कि हमारे इंजीनियरों ने इसकी तैयारी भी कर ली है।

फिलहाल इन प्रसारणों के लिए देश के चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को ही चुना गया है, याने दिल्ली अभी दूर है और आपको अभी अपने टेलीविजन सेट्स बदलने की ज़रूरत नहीं होगी। वैसे भी बहु संख्यक आबादी को ध्यान में रखते हुए, शायद, अनालोग प्रसारण तो जारी रखे ही जायेंगे।

परन्तु, यहाँ पर हम इतना जरूर बताएँगे कि सामान्य टेलिविज़न (SDTV - Standard Definition TeleVision - 640 x 480) के मुकाबले HDTV की दृश्य गुणवत्ता या रिसोल्यूशन 3 गुना (1920 x 1080 pixels) तक होता है और इसके चित्रों का दृश्यानुपात 16:9 होता है जो सामान्य के 4:3 से बहुत अच्छा होता है और फिल्मों के दृश्यानुपात के समान होता है। यहाँ यह भी जानना ज़रूरी है की डिज़िटल टीवी और एचडीटीवी दोनों ही अलग-अलग विषयवस्तु हैं और इनसे भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।

प्रसारण कर्त्ता के तौर पर यह जानना भी ज़रूरी है की इनके प्रसारण हेतु लगभग तीन गुना ज्यादा bandwidth की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए नये संसाधन भी जुटाने की आवश्यकता पड़ेगी और इस प्रसारण को देखने के लिए उपभोक्ताओं को भी नए HDTV टेलीविजन खरीदने की ज़रूरत पड़ेगी।

यदि आप एचडीटीवी या डीटीवी के बारे के लिए ज्यादा जानना चाहते हैं तो आप हाउ-स्टफ-वर्क्स की वेब साईट http://www.howstuffworks.com/hdtv.htm पर जा सकते हैं। यहाँ आप और भी कई उपयोगी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं, यह वेब साईट सभी के लिए बहुत ही उपयोगी है और विभिन्न उपकरणों के बारे में यहाँ जानकारी उपलब्ध है।

अश्विनी कुमार, ई मेल - akvkota@gmail.com